What Does Shiv chaisa Mean?
What Does Shiv chaisa Mean?
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पूजन रामचन्द्र जब कीन्हा। जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥
जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥
पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी ॥ दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं ।
ताके तन नहीं रहै कलेशा ॥ धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे ।
आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा॥
अर्थ: पवित्र मन से इस पाठ को करने से भगवान शिव कर्ज में डूबे को भी समृद्ध बना देते हैं। यदि कोई संतान हीन हो तो उसकी इच्छा को भी भगवान शिव का प्रसाद निश्चित रुप से मिलता है। त्रयोदशी (चंद्रमास का तेरहवां दिन त्रयोदशी कहलाता Shiv chaisa है, हर चंद्रमास में दो त्रयोदशी आती हैं, एक कृष्ण पक्ष में व एक शुक्ल पक्ष में) को पंडित बुलाकर हवन करवाने, ध्यान करने और व्रत रखने से किसी भी प्रकार का कष्ट नहीं रहता।
पुत्र हीन कर इच्छा कोई। निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई॥
दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं॥
पुत्र होन कर इच्छा जोई। निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई॥
अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण॥
नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥
ब्रह्म – कुल – वल्लभं, सुलभ मति दुर्लभं, विकट – वेषं, विभुं, वेदपारं ।
सहस कमल में हो रहे धारी। कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥
शिव आरती